भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"काका आरो बुतरू / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=बाजै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
जब ताँय घर में काका छै | जब ताँय घर में काका छै | ||
मालिक बनलोॅ आका छै | मालिक बनलोॅ आका छै | ||
− | घर में दिल्ली | + | घर में दिल्ली-ढाका छै |
खूब कमैलेॅ टाका छै | खूब कमैलेॅ टाका छै | ||
बुतरू वास्तें फाका छै | बुतरू वास्तें फाका छै |
07:00, 15 मई 2016 के समय का अवतरण
जब ताँय घर में काका छै
मालिक बनलोॅ आका छै
घर में दिल्ली-ढाका छै
खूब कमैलेॅ टाका छै
बुतरू वास्तें फाका छै
खेलवे पर ही डाका छै
बच्है काँटोॅ-कूसोॅ रँ
डर सें बनलोॅ मूसोॅ रँ ।