भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हिन्दी कविता का क्यों / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल जनविजय |संग्रह= }} अच्छे कवियों को सब हिदी वाले नका...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
अच्छे कवियों को सब हिदी वाले नकारते | अच्छे कवियों को सब हिदी वाले नकारते | ||
+ | |||
और बुरे कवियों के सौ-सौ गुण बघारते | और बुरे कवियों के सौ-सौ गुण बघारते | ||
+ | |||
ऎसा क्यों है, ये बताएँ ज़रा, भाई अनिल जी | ऎसा क्यों है, ये बताएँ ज़रा, भाई अनिल जी | ||
+ | |||
अच्छे कवि क्यों नहीं कहलाते हैं सलिल जी | अच्छे कवि क्यों नहीं कहलाते हैं सलिल जी | ||
+ | |||
क्यों ले-दे कर छपने वाले कवि बने हैं | क्यों ले-दे कर छपने वाले कवि बने हैं | ||
+ | |||
क्यों हरी घास को चरने वाले कवि बने हैं | क्यों हरी घास को चरने वाले कवि बने हैं | ||
+ | |||
परमानन्द और नवल सरीखे हिन्दी के लोचे | परमानन्द और नवल सरीखे हिन्दी के लोचे | ||
+ | |||
क्यों देश-विदेश में हिन्दी रचना की छवि बने हैं | क्यों देश-विदेश में हिन्दी रचना की छवि बने हैं | ||
+ | |||
क्यों शुक्ला, जोशी, लंठ सरीखे नागर राठी | क्यों शुक्ला, जोशी, लंठ सरीखे नागर राठी | ||
+ | |||
हिन्दी कविता पर बैठे हैं चढ़ा कर काठी | हिन्दी कविता पर बैठे हैं चढ़ा कर काठी | ||
+ | |||
पूछ रहे अपने ई-पत्र में सुशील कुमार जी | पूछ रहे अपने ई-पत्र में सुशील कुमार जी | ||
+ | |||
कब बदलेगी हिन्दी कविता की यह परिपाटी | कब बदलेगी हिन्दी कविता की यह परिपाटी |
11:46, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण
अच्छे कवियों को सब हिदी वाले नकारते
और बुरे कवियों के सौ-सौ गुण बघारते
ऎसा क्यों है, ये बताएँ ज़रा, भाई अनिल जी
अच्छे कवि क्यों नहीं कहलाते हैं सलिल जी
क्यों ले-दे कर छपने वाले कवि बने हैं
क्यों हरी घास को चरने वाले कवि बने हैं
परमानन्द और नवल सरीखे हिन्दी के लोचे
क्यों देश-विदेश में हिन्दी रचना की छवि बने हैं
क्यों शुक्ला, जोशी, लंठ सरीखे नागर राठी
हिन्दी कविता पर बैठे हैं चढ़ा कर काठी
पूछ रहे अपने ई-पत्र में सुशील कुमार जी
कब बदलेगी हिन्दी कविता की यह परिपाटी