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पर-बेपर की / सुकुमार राय

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क्योंकि मेरा गाने का वक़्त हुआ ख़तम।
'''शिव किशोर तिवारी द्वाराम द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित''' 
'''यह सुकुमार सेन की आख़िरी कविता है जो १९२२ में उनकी मृत्यु के ठीक पहले लिखी गई थी। कविता में स्पष्ट संकेत हैं कि कवि को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था। इसके पहले वे लगभग ढाई साल से बीमार चल रहे थे, पर लिखना ज़ारी रहा था और साथ-साथ अपनी पत्रिका 'सन्देश' का सम्पादन और प्रकाशन भी अविरत चलता रहा था। इस कविता की रचना के एकाध दिन के भीतर सुकुमार सेन की मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय उम्र - 36 साल में दो माह कम।
यह पूरी तरह से नॉनसेंस वर्स है। कविता के अन्त में "घोड़ी के अण्डे" का ज़िक्र पूरी कविता को परिभाषित करता है।'''
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