भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बाबूराम सँपेरा / सुकुमार राय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुकुमार राय |अनुवादक=शिव किशोर ति...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 21: पंक्ति 21:
 
डण्डा मार करूँ सीधा।
 
डण्डा मार करूँ सीधा।
  
सुकुमार राय की कविता : बाबूराम सापुड़े(বাবুরাম সাপুড়ে) का अनुवाद
 
 
'''शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित'''
 
'''शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित'''
 +
 +
'''और लीजिए, अब पढ़िए यही कविता मूल बांग्ला में'''
 +
বাবুরাম সাপুড়ে, সুকুমার রায়
 +
 +
বাবুরাম সাপুড়ে,
 +
 +
    কোথা যাস বাপুরে
 +
 +
আয় বাবা দেখে যা,
 +
 +
    দুটো সাপ রেখে যা –
 +
 +
যে সাপের চোখ নেই,
 +
 +
    শিং নেই, নোখ নেই,
 +
 +
ছোটে না কি হাঁটে না,
 +
 +
    কাউকে যে কাটে না,
 +
 +
করে না কো ফোঁসফাঁস
 +
 +
    মারে নাকো ঢুসঢাস,
 +
 +
নেই কোন উৎপাত,
 +
 +
    খায় শুধু দুধভাত,
 +
 +
সেই সাপ জ্যান্ত,
 +
 +
    গোটা দুই আন তো,
 +
 +
তেড়ে মেরে ডাণ্ডা
 +
 +
    ক’রে দেই ঠাণ্ডা
 
</poem>
 
</poem>

07:49, 11 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

बाबूराम सँपेरे, ओ!
कहाँ लगाए फेरे, ओ!
इधर ज़रा सा आओ आप
मुझे चाहिए दो ठो साँप।
साँप आँख से सूने हों
बेसींग- नाखूने हों।
ना सरकें ना लहराएँ
नहीं किसी को डस खाएँ।
फों-फों करें न मारें फन
दूध-भात का लें भोजन।
ऐसे साँप मिलें तो ला
डण्डा मार करूँ सीधा।

शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल बांग्ला से अनूदित

और लीजिए, अब पढ़िए यही कविता मूल बांग्ला में
বাবুরাম সাপুড়ে, সুকুমার রায়
 
বাবুরাম সাপুড়ে,

    কোথা যাস বাপুরে

আয় বাবা দেখে যা,

    দুটো সাপ রেখে যা –

যে সাপের চোখ নেই,

    শিং নেই, নোখ নেই,

ছোটে না কি হাঁটে না,

    কাউকে যে কাটে না,

করে না কো ফোঁসফাঁস

    মারে নাকো ঢুসঢাস,

নেই কোন উৎপাত,

    খায় শুধু দুধভাত,

সেই সাপ জ্যান্ত,

    গোটা দুই আন তো,

তেড়ে মেরে ডাণ্ডা

    ক’রে দেই ঠাণ্ডা