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"अकबर इलाहाबादी / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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अकबर इलाहाबादी विद्रोही स्वभाव के थे। वे रूढ़िवादिता एवं धार्मिक ढोंग के सख्त खिलाफ थे और अपने शेरों में ऐसी प्रवृत्तियों पर तीखा व्यंग्य (तंज) करते थे। उन्होंने 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम देखा था और फिर गांधीजी के नेतृत्व में छिड़े स्वाधीनता आंदोलन के भी गवाह रहे। उनका असली नाम सैयद हुसैन था। उनका जन्म 16 नवंबर, 1846 में इलाहाबाद में हुआ था। वह अदालत में एक छोटे मुजरिम थे, लेकिन बाद में कानून का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया और सेशन जज के रूप में रिटायर हुए। इलाहाबाद में ही 9 सितंबर, 1921 को उनकी मृत्यु हो गई। | अकबर इलाहाबादी विद्रोही स्वभाव के थे। वे रूढ़िवादिता एवं धार्मिक ढोंग के सख्त खिलाफ थे और अपने शेरों में ऐसी प्रवृत्तियों पर तीखा व्यंग्य (तंज) करते थे। उन्होंने 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम देखा था और फिर गांधीजी के नेतृत्व में छिड़े स्वाधीनता आंदोलन के भी गवाह रहे। उनका असली नाम सैयद हुसैन था। उनका जन्म 16 नवंबर, 1846 में इलाहाबाद में हुआ था। वह अदालत में एक छोटे मुजरिम थे, लेकिन बाद में कानून का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया और सेशन जज के रूप में रिटायर हुए। इलाहाबाद में ही 9 सितंबर, 1921 को उनकी मृत्यु हो गई। | ||
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+ | मयखाना-ए-रिफार्म की चिकनी जमीन पर | ||
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+ | वाइज का खानदान भी आखिर फिसल गया | ||
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+ | कैसी नमाज, बार में नाचो जनाब शेख | ||
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10:07, 17 मार्च 2008 का अवतरण
अकबर इलाहाबादी विद्रोही स्वभाव के थे। वे रूढ़िवादिता एवं धार्मिक ढोंग के सख्त खिलाफ थे और अपने शेरों में ऐसी प्रवृत्तियों पर तीखा व्यंग्य (तंज) करते थे। उन्होंने 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम देखा था और फिर गांधीजी के नेतृत्व में छिड़े स्वाधीनता आंदोलन के भी गवाह रहे। उनका असली नाम सैयद हुसैन था। उनका जन्म 16 नवंबर, 1846 में इलाहाबाद में हुआ था। वह अदालत में एक छोटे मुजरिम थे, लेकिन बाद में कानून का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया और सेशन जज के रूप में रिटायर हुए। इलाहाबाद में ही 9 सितंबर, 1921 को उनकी मृत्यु हो गई।
मयखाना-ए-रिफार्म की चिकनी जमीन पर
वाइज का खानदान भी आखिर फिसल गया
कैसी नमाज, बार में नाचो जनाब शेख
तुमको खबर नहीं जमाना बदल गया