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आशा / महमूद दरवेश

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|रचनाकार=महमूद दरवेश|अनुवादक=अनिल जनविजय|संग्रह=
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बहुत थोड़ा-सा शहद बाक़ी है
 
तुम्हारी तश्तरी में
 
मक्खियों को दूर रखो
 
और शहद को बचाओ
 
तुम्हारे घर में अब भी है एक दरवाज़ा
 
और एक चटाई
 
दरवाज़ा बन्द कर दो
 
अपने बच्चों से दूर रखो
ठण्डी हवा
ठंडी हवा  यह हवा बेहद ठंडी ठण्डी है 
पर बच्चों का सोना ज़रूरी है
 
तुम्हारे पास शेष है अब भी
 
आग जलाने के लिए
 
कुछ लकड़ी
 
कहवा
और लपटॊं का एक गट्ठर
और लपटॊं का एक गट्ठर'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''</poem>
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