लेखिका: [[महादेवी वर्मा]]{{KKGlobal}}[[Category:{{KKRachna|रचनाकार=महादेवी वर्मा]]}}{{KKCatKavita}}<poem>वे मुस्काते फूल, नहींजिनको आता है मुरझाना,वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना!
वे मुस्काते फूल सूने से नयन,नहीं<br>जिनको आता है मुर्झानाजिनमें बनते आँसू मोती,<br>वे तारो के दीप नहीं <br>वह प्राणों की सेज,नही जिनको भाता है बुझ जाना <br><br>जिसमें बेसुध पीड़ा, सोती!
वे सूनो सो नयननीलम के मेघ,नहीं <br>जिनमें बनते आंसू मोती, <br>जिनको है घुल जाने की चाह वह प्राणों की सेजअनन्त रितुराज,नही <br>नहीं जिसमें बेसुध पीडा, सोती <br><br>जिसने देखी जाने की राह!
वे नीलम के मेघ नही <br>ऎसा तेरा लोक, वेदना जिनको है घुल जाने की चाह <br>नहीं,नहीं जिसमें अवसाद, वह अनन्त रितुराजजलना जाना नहीं,नही <br>नहीं जिसनो देखी जाने की राह <br>जिसने जाना मिटने का स्वाद!
ऎसा तेरा लोक, वेदना <br>नही,नहीं जिसमें अवसाद, <br>जलना जाना नहीं नहीं <br>जिसने जाना मिट्ने का स्वाद<br> क्या अमरों का लोक मिलेगा <br>तेरी करुणा का उपहार<br>रहने दो हे देव ! अरे<br>यह मेरे मिटने क अधिकार!<br/poem>