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"मुख - 3 / प्रेमघन" के अवतरणों में अंतर

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लगी बरसै सुखमा घन प्रेम,
 
लगी बरसै सुखमा घन प्रेम,
 
::मनो लरि लाख गुनो लहि तेज।
 
::मनो लरि लाख गुनो लहि तेज।
धर सिर के तर राहु को सोय,
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धरे सिर के तर राहु को सोय,
 
::रह्यो है कलानिधि काढ़ि कलेज॥
 
::रह्यो है कलानिधि काढ़ि कलेज॥
 
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22:03, 20 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

थकी विपरीत की जीत रनै,
न सकी स्रम सों सुकुमारि अँगेज।
लियो अवलम्ब अनूपम आनन,
लाल तकीयन पैं सजी सेज॥
लगी बरसै सुखमा घन प्रेम,
मनो लरि लाख गुनो लहि तेज।
धरे सिर के तर राहु को सोय,
रह्यो है कलानिधि काढ़ि कलेज॥