|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=राजस्थानीKKCatRajasthaniRachna}}<poem>म्हें थांने पूछां म्हारी धीयड़ीम्हें थांने पूछां म्हारी बालकीइतरो बाबा जी रो लाड़, छोड़ र बाई सिध चाल्या।
म्हें थांने पूछां म्हारी धीयड़ी<br>म्हें थांने पूछां म्हारी बालकी<br>इतरो बाबा जी रो लाड़, छोड़ र बाई सिध चाल्या।<br>मैं रमती बाबो सो री पोल<br>मैं रमतो बाबो सारी पोल<br>आयो सगे जी रो सूबटो, गायड़मल ले चाल्यो।<br> म्हें थाने पूंछा म्हारी बालकी<br>म्हें थाने पूंछा म्हारी छीयड़ी<br>इतरों माऊजी रो लाड़, छोड़ र बाई सिध चाल्या।<br> आयो सगे जी रो सूबटो<br>हे, आयो सगे जी रो सूबटो<br>म्हे रमती सहेल्यां रे साथ, जोड़ी रो जालम ले चाल्यो।<br> हे खाता खारक ने खोपरा<br>रमता सहेलियां रे साथ<br>मेले से हंसियों लेइ चाल्यों<br> हे पाक्या आवां ने आबंला<br>हे पाक्यां दाड़म ने दाख<br>म्लेइ ने फूटर मल वो चाल्यो<br> म्हें थाने पूंछा म्हारी धीयड़ी<br>इतरों बापा जी रो लाड़, छोड़ने बाई सिध चाल्या।चाल्यो।</poem>