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अनन्त आलोक

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{{KKGlobal}}{{KKParichay|चित्र=Anant-alok-poet.jpg|नाम= शीर्षक अनन्त आलोक|उपनाम=|जन्म=28 अक्तूबर 1974 मुक्तक अब आदमी का इक नया प्रकार हो गया|जन्मस्थान=नाहन, आदमी का आदमी शिकार हो गयाज़िला सिरमौर, हिमाचल प्रदेशजरुरत नहीं आखेट को अब कानन गमन |कृतियाँ=तलाश (कविता-संग्रह) |विविध=पर्वतालोक की, उपाधिशहर में ही गोश्त का बाजार हो गया |सम्पर्क=|जीवनी=[[अनन्त आलोक / परिचय]]|अंग्रेज़ीनाम=Anant Alok}}माँ के जाते ही बाप गैर हो गया, {{KKCatHimachal}}अपने ही लहू से उसको बैर हो गया, ====हाइक====घर ले आया * '''[[ हाइकु / अनन्त आलोक]]'''====मुक्तक====* [[अब आदमी का इक पति हंता नार को, नया / अनन्त आलोक]]आप * [[माँ के जाते ही कुटुंब पर कहर हो गया|  / अनन्त आलोक]]* [[आपने तारीफ की हम खूबसूरत हो गये, आइना देखते हम खुद / अनन्त आलोक]]====कविताएँ====* [[यादों के जंगल में ही खो गये, / अनन्त आलोक]]जाने क्या जादू किया आपके इल्फजों ने, * [[कामचोर सावन / अनन्त आलोक]]निखर कर हम सोंदर्य की मूरत हो गये|* [[समरस आलू प्‍याज / अनन्त आलोक]]