भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रफ़ीक़ संदेलवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKParichay |चित्र=Rafik_Sandelvi.jpg |नाम=रफ़ीक़ संदेलवी |उपनाम= |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|नाम=रफ़ीक़ संदेलवी | |नाम=रफ़ीक़ संदेलवी | ||
|उपनाम= | |उपनाम= | ||
− | |जन्म= | + | |जन्म=01 दिसम्बर 1961 |
− | |जन्मस्थान=पाकिस्तान | + | |जन्मस्थान=टोबा टेक सिंह, पाकिस्तान |
|मृत्यु= | |मृत्यु= | ||
− | |कृतियाँ= | + | |कृतियाँ=सब्ज़ आँखों में तीर (1986),गुर्ज़ (1987), एक रात का ज़िक्र (1988), घर में बैठा शख़्स (2007) |
|विविध= | |विविध= | ||
|सम्पर्क= | |सम्पर्क= | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
{{KKShayar}} | {{KKShayar}} | ||
====ग़ज़लें==== | ====ग़ज़लें==== | ||
− | * [[ / रफ़ीक़ संदेलवी]] | + | * [[अजब इक साया-ए-लाहूत में तहलील होगी / रफ़ीक़ संदेलवी]] |
+ | * [[अना को ख़ुद पर सवार मैं ने नहीं क्या था / रफ़ीक़ संदेलवी]]. | ||
+ | * [[कभी ज़ख़्मी करूँ पाँव कभी सर फोड़ कर देखूँ / रफ़ीक़ संदेलवी]] | ||
+ | * [[ख़ता होने लगे थे राद से औसान मेरे / रफ़ीक़ संदेलवी]] | ||
+ | * [[ख़ेमा-ए-ख़्वाब की तनाबें खोल / रफ़ीक़ संदेलवी]] | ||
+ | * [[कुछ रोज़ मैं इस ख़ाक के पर्दे में रहूँगा / रफ़ीक़ संदेलवी]] | ||
+ | * [[मैं हवा को मुंजमिद कर दूँ तो कैसे साँस लूँ / रफ़ीक़ संदेलवी]] | ||
+ | * [[मैं इक पहाड़ी तले दबा लूँ किसे ख़बर है / रफ़ीक़ संदेलवी]] | ||
+ | * [[नींद के आब-ए-रवाँ को मात देने आऊँगा / रफ़ीक़ संदेलवी]] | ||
+ | * [[उसे शौक़-ए-ग़ोता-ज़नी न था वो कहाँ गया / रफ़ीक़ संदेलवी]] | ||
+ | * [[ज़मीन पाँव तले सर पे आसमान लिए / रफ़ीक़ संदेलवी]] |
04:32, 28 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
रफ़ीक़ संदेलवी
जन्म | 01 दिसम्बर 1961 |
---|---|
जन्म स्थान | टोबा टेक सिंह, पाकिस्तान |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
सब्ज़ आँखों में तीर (1986),गुर्ज़ (1987), एक रात का ज़िक्र (1988), घर में बैठा शख़्स (2007) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
रफ़ीक़ संदेलवी / परिचय |
ग़ज़लें
- अजब इक साया-ए-लाहूत में तहलील होगी / रफ़ीक़ संदेलवी
- अना को ख़ुद पर सवार मैं ने नहीं क्या था / रफ़ीक़ संदेलवी.
- कभी ज़ख़्मी करूँ पाँव कभी सर फोड़ कर देखूँ / रफ़ीक़ संदेलवी
- ख़ता होने लगे थे राद से औसान मेरे / रफ़ीक़ संदेलवी
- ख़ेमा-ए-ख़्वाब की तनाबें खोल / रफ़ीक़ संदेलवी
- कुछ रोज़ मैं इस ख़ाक के पर्दे में रहूँगा / रफ़ीक़ संदेलवी
- मैं हवा को मुंजमिद कर दूँ तो कैसे साँस लूँ / रफ़ीक़ संदेलवी
- मैं इक पहाड़ी तले दबा लूँ किसे ख़बर है / रफ़ीक़ संदेलवी
- नींद के आब-ए-रवाँ को मात देने आऊँगा / रफ़ीक़ संदेलवी
- उसे शौक़-ए-ग़ोता-ज़नी न था वो कहाँ गया / रफ़ीक़ संदेलवी
- ज़मीन पाँव तले सर पे आसमान लिए / रफ़ीक़ संदेलवी