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+ | * [[हर हर्फ़-ए-आरज़ू पे करे था वो यार बहस / 'ममनून' निज़ामुद्दीन]] | ||
+ | * [[कब गुल है हवा-ख़्वाह सबा अपने चमन का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन]] |
02:07, 1 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
'ममनून' निज़ामुद्दीन
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जन्म | |
---|---|
निधन | 1844 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
'ममनून' निज़ामुद्दीन / परिचय |
ग़ज़लें
- झुकी निगह में है ढब पुर्सिश-ए-निहानी का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- जो बाद-ए-मर्ग भी दिल को रही किनार में जा / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- कल वस्ल में भी नींद न आई तमाम शब / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- खा के कल हो पेच-ओ-ताब उठा जो दिल से नाला था / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- कोई हम-दर्द हम-दम न यगाना अपना / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- नूर-ए-मह को शब तह-ए-अब्र-ए-तुनक क्या लाफ़ था / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- रहे है रू-कश-ए-नश्तर हर आबला दिल का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- रखे है रंग कुछ साक़ी शराब-ए-नाब आतिश का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- तेरे बीमार की शायद विदा-ए-जान है तन से / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- तुझे कुछ याद है पहला वो आलम इश्क़-ए-पिन्हाँ का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- तुझे नक़्श-ए-हस्ती मिटाया तो देखा / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- गुमाँ नू क्यूँके करूँ तूझ पे दिल चुराने का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- हर हर्फ़-ए-आरज़ू पे करे था वो यार बहस / 'ममनून' निज़ामुद्दीन
- कब गुल है हवा-ख़्वाह सबा अपने चमन का / 'ममनून' निज़ामुद्दीन