भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKParichay |चित्र= |नाम=मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़' |उपनाम= |जन...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKParichay | {{KKParichay | ||
|चित्र= | |चित्र= | ||
− | |नाम=मिर्ज़ा रज़ा | + | |नाम=फ़तह उद-दौला बख़्शी-उल मुल्क मिर्ज़ा मोहम्मद रज़ा ख़ान |
− | |उपनाम= | + | |उपनाम=मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़' |
|जन्म=1790 | |जन्म=1790 | ||
|जन्मस्थान=लखनऊ, भारत | |जन्मस्थान=लखनऊ, भारत | ||
|मृत्यु=1857 | |मृत्यु=1857 | ||
− | |कृतियाँ= | + | |कृतियाँ=इन्तिख़ाब-ए-गज़लियत-ए-बर्क़ |
− | |विविध= | + | |विविध=मिर्ज़ा काज़िम अली के पुत्र और अवध के बादशाह वाज़िद अली शाह के मित्र। अँग्रेज़ॊ द्वारा राजपात छीने जाने के बाद उनके साथ कलकत्ता गए। जहाँ उनका निधन हो गया। तलवार के धनी थे। |
|सम्पर्क= | |सम्पर्क= | ||
− | |अंग्रेज़ीनाम= | + | |अंग्रेज़ीनाम=mirza raza barq |
|जीवनी=[[मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़' / परिचय]] | |जीवनी=[[मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़' / परिचय]] | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatUttarPradesh}} | ||
{{KKShayar}} | {{KKShayar}} | ||
− | * [[ / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] | + | ====ग़ज़लें==== |
+ | * [[ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] | ||
+ | * [[गया शबाब ने पैग़ाम-ए-वस्ल-ए-यार आया / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] | ||
+ | * [[किस तरह मिलें कोई बहाना नहीं मिलता / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] | ||
+ | * [[मैं अगर रोने लगूँ रूतबा-ए-वाला बढ़ जाए / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] | ||
+ | * [[पर्दा उलट के उस ने जो चेहरा दिखा दिया / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] | ||
+ | * [[रंग से पैरहन-ए-सादा हिनाई हो जाए / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] | ||
+ | * [[ज़ेर-ए-ज़मीं हूँ तिश्ना-ए-दीदार-ए-यार का / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] | ||
+ | * [[न कोई उन के सिवा और जान-ए-जाँ देखा / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़']] |
04:26, 1 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
फ़तह उद-दौला बख़्शी-उल मुल्क मिर्ज़ा मोहम्मद रज़ा ख़ान
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 1790 |
---|---|
निधन | 1857 |
उपनाम | मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़' |
जन्म स्थान | लखनऊ, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
इन्तिख़ाब-ए-गज़लियत-ए-बर्क़ | |
विविध | |
मिर्ज़ा काज़िम अली के पुत्र और अवध के बादशाह वाज़िद अली शाह के मित्र। अँग्रेज़ॊ द्वारा राजपात छीने जाने के बाद उनके साथ कलकत्ता गए। जहाँ उनका निधन हो गया। तलवार के धनी थे। | |
जीवन परिचय | |
मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़' / परिचय |
ग़ज़लें
- ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'
- गया शबाब ने पैग़ाम-ए-वस्ल-ए-यार आया / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'
- किस तरह मिलें कोई बहाना नहीं मिलता / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'
- मैं अगर रोने लगूँ रूतबा-ए-वाला बढ़ जाए / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'
- पर्दा उलट के उस ने जो चेहरा दिखा दिया / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'
- रंग से पैरहन-ए-सादा हिनाई हो जाए / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'
- ज़ेर-ए-ज़मीं हूँ तिश्ना-ए-दीदार-ए-यार का / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'
- न कोई उन के सिवा और जान-ए-जाँ देखा / मिर्ज़ा रज़ा 'बर्क़'