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माँ / दिविक रमेश
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माँ
रोज़ सुबह, मुंह-अँधेरे
दूध बिलौने से पहले
माँ
चक्की पीसती,
और मैं
घूमेड़े में
आराम से
सोता
.
-
तारीफ़ों में बँधीं
माँ
जिसे मैंने कभी
सोते
नहीं देखा
.
आज
जवान होने पर
एक प्रश्न घुमड़ आया है -
पिसती
चक्की थी
या
माँ
माँ
.
अनिल जनविजय
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