{{KKRachnakaarParichay
|रचनाकार=कपिलनाथ कश्यप
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'''संंक्षिप्त परिचय'''
ये आरंभ में शिक्षक थे। 1945 में राजस्व निरीक्षक के पद पर आये। इन्होंने हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओं में रचना की। छत्तीसगढ़ी रचनाओं में श्री रामकथा (महाकाव्य), अब तो जागौ रे, डहर के कांटा (कहानी संग्रह), श्री कृष्ण कथा, सीता की अग्निपरीक्षा, डहर के फूल, अंधियारी रात (एकांकी), गजरा (काव्य संग्रह), नवा बिहान (एकांकी) आदि हैं। हिन्दी रचनाओं में वैदेही विछोह, युद्ध आमंत्रण, आह्वान (खण्डकाव्य), न्याय (नाटक), स्वतंत्रता के अमर सेनानी (खण्डकाव्य) इत्यादि हैं। इन्हें श्री राम कथा पर मध्य प्रदेश शासन का ईसुरी पुरस्कार मिला।
'''विस्तृत परिचय'''
7 मार्च सन् 1909 को छत्तीसगढ के जांजगीर जिले के अकलतरा रेलवे स्टेशन के पास एक छोटे से गांव पौना में कपिलनाथ कश्यप जी का जन्म हुआ. इनके पिता श्री शोभानाथ कश्यप साधारण किसान थे. माता श्रीमती चंद्रावती बाई भी अपने पति के साथ खेतों में कार्य करती थी. बालक कपिलनाथ के जन्म के तीन वर्ष के अंतराल में ही इनके पिता स्वर्गवासी हो गए एवं पांच साल के होते होते इनकी माता भी स्वर्ग सिधार गई. कपिलनाथ कश्यप जी मेधावी थे. इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में और माध्यमिक शिक्षा बिलासपुर में हुई. आगे की पढाई करते हुए किशोर कपिलनाथ को गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने प्रभावित किया. और उन्होने अपने साथियों के साथ सरकारी स्कूल का बहिस्कार कर दिया. बाद मे इस स्कूल को अंग्रेजो ने बन्द कर दिया. कपिलनाथ कश्यप जी आगे पढना चाहते थे किन्तु उनकी परिस्थिति ऐसी नहीं थी कि उच्चतर अध्ययन के लिए बाहर जा सकें. सौभाग्यवश उनके गांव के जमीदार का पुत्र कलकत्ता से पढाई बीच में ही छोडकर भाग आया था. उसके जमीदार मां बाप उसे आगे पढाना चाहते थे पर वह अकेले नहीं जाना चाहता था. फलतः कपिलनाथ कश्यप जी को अवसर मिल गया और वे उसके साथ इलाहाबाद चले गए. क्रिश्चन कालेज से सन् 1927 में उन्होंनें इंटरमीडियेट किया और सन् 1931 में प्रयाग विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की.