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+ | एक दिन मैं | ||
+ | गेाश्त के बाज़ार से | ||
+ | गुज़र रहा था | ||
+ | देखा कुछ लूले-लँगड़े | ||
+ | थके हारे बूढे भी | ||
+ | बिक रहे थे | ||
+ | लेकिन वो बकरे थे | ||
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+ | कुछ रंगीन चर्बी वाले | ||
+ | ज़िस्म भी | ||
+ | बाज़ार में मौजूद थे | ||
+ | वो बाहर से ओके | ||
+ | और भीतर | ||
+ | बर्ड -फलू और | ||
+ | एड्स से पीले थे | ||
+ | लेकिन वो मुर्गियाँ | ||
+ | और मुर्गे थे | ||
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+ | मैंने पूरा बाजार | ||
+ | घूम कर देखा | ||
+ | पैसा अंधा तो नहीं, पर | ||
+ | पैसा बड़ा बेफिक्र होता है | ||
+ | घटिया से घटिया विकल्प | ||
+ | उसकी मुट्ठी में होता है | ||
+ | जहाँ खरीदने और | ||
+ | बेचने वालों का ज़ोर है | ||
+ | बाक़ी भौंकने वालों का शोर है | ||
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+ | माँस भी | ||
+ | हड्डी भी | ||
+ | ख़ून भी | ||
+ | लेकिन किस काम का | ||
+ | यह देसी कुत्ता | ||
+ | जेा बार-बार | ||
+ | मीट शाप के सामने | ||
+ | आ खड़ा होता है | ||
+ | उठे गड़ासे को देखकर | ||
+ | डरता नहीं | ||
+ | और दुम हिलाता है | ||
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22:27, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
क्या आप इन्सान हैं
यदि हाँ तो
फिर आप क्या हैं
कोई खू़बसूरत चीज़
जिसकी मार्केट वैल्यू है
या मालदार
मार्केट जिसकी जेब में
यदि दोनों नहीं तो
फिर आप
तीसरे कौन है
एक दिन मैं
गेाश्त के बाज़ार से
गुज़र रहा था
देखा कुछ लूले-लँगड़े
थके हारे बूढे भी
बिक रहे थे
लेकिन वो बकरे थे
कुछ रंगीन चर्बी वाले
ज़िस्म भी
बाज़ार में मौजूद थे
वो बाहर से ओके
और भीतर
बर्ड -फलू और
एड्स से पीले थे
लेकिन वो मुर्गियाँ
और मुर्गे थे
मैंने पूरा बाजार
घूम कर देखा
पैसा अंधा तो नहीं, पर
पैसा बड़ा बेफिक्र होता है
घटिया से घटिया विकल्प
उसकी मुट्ठी में होता है
जहाँ खरीदने और
बेचने वालों का ज़ोर है
बाक़ी भौंकने वालों का शोर है
माँस भी
हड्डी भी
ख़ून भी
लेकिन किस काम का
यह देसी कुत्ता
जेा बार-बार
मीट शाप के सामने
आ खड़ा होता है
उठे गड़ासे को देखकर
डरता नहीं
और दुम हिलाता है