Changes

किरदार / डी. एम. मिश्र

1,267 bytes added, 17:32, 1 जनवरी 2017
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक वह है
जिसे देह का सुख
निगल रहा है
दूसरा वह है
जिसे आत्मा का सुख
मुक्त कर रहा है
एक वह है
जिससे ईश्वर ने सारी न्यामतें छीन लीं
फिर भी वह धनसंचय के पीछे पड़ा हुआ है
दूसरा वह है
जो थोड़े में गुज़ारा कर रहा है
लिप्सा से दूर
खुले आसमान के नीचे
सन्तुष्ट है और खुश
 
एक वह है
जेा ड्रामा करना जानता है
और झूठ का कारोबार कर लेता है
दूसरा वह है
जो न बयानबाजी जानता है न भाषणबाजी
हाथ जोड़ लेता है तो हुनर काम करता है
खामोश रहता है तो मौन
 
सबका अलग किरदार है
और अलग मंच
पर, हर किरदार की परख
उसके सत्य से होती है
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits