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"किरदार / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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जो थोड़े में गुज़ारा  कर रहा है
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लिप्सा से दूर
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खुले आसमान के नीचे
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सन्तुष्ट है और खुश
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एक वह है
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जेा ड्रामा करना जानता है
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और झूठ का कारोबार कर लेता है
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दूसरा वह है
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जो न बयानबाजी जानता है न भाषणबाजी
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हाथ जोड़ लेता है तो हुनर काम करता है
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खामोश रहता है तो मौन
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सबका अलग किरदार है
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और अलग मंच
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पर, हर किरदार की परख
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उसके सत्य से होती है
 
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23:02, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

एक वह है
जिसे देह का सुख
निगल रहा है
दूसरा वह है
जिसे आत्मा का सुख
मुक्त कर रहा है

एक वह है
जिससे ईश्वर ने सारी न्यामतें छीन लीं
फिर भी वह धनसंचय के पीछे पड़ा हुआ है
दूसरा वह है
जो थोड़े में गुज़ारा कर रहा है
लिप्सा से दूर
खुले आसमान के नीचे
सन्तुष्ट है और खुश

एक वह है
जेा ड्रामा करना जानता है
और झूठ का कारोबार कर लेता है
दूसरा वह है
जो न बयानबाजी जानता है न भाषणबाजी
हाथ जोड़ लेता है तो हुनर काम करता है
खामोश रहता है तो मौन

सबका अलग किरदार है
और अलग मंच
पर, हर किरदार की परख
उसके सत्य से होती है