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"पढ़व अउ पढ़ावव / नूतन प्रसाद शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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बिना पढ़े मनखे के कीमत, कभू होन नइ पावे गा।
 
बिना पढ़े मनखे के कीमत, कभू होन नइ पावे गा।
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अगर नउकरी नइ पाये त, कुछू बात नइये ओमा।
 
अगर नउकरी नइ पाये त, कुछू बात नइये ओमा।
पर के दरवाजा देखे बर,नइ पढ़ पाये कोनो गा।
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पर के दरवाजा देखे बर, नइ पढ़ पाये कोनो गा।
 
शिक्षित  बन के अपन नाम ला
 
शिक्षित  बन के अपन नाम ला
 
दुनियां म बगराओ रे।
 
दुनियां म बगराओ रे।
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पर ला घलक पढ़हावव रे।
 
पर ला घलक पढ़हावव रे।
  
पढ़े लिखे म देस विश्‍व मं,का होथे ते जान लेबो।
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पढ़े लिखे म देस विश्‍व मं, का होथे ते जान लेबो।
 
जेहा हमर अहित ला करही, ओला झट झटका देबो।
 
जेहा हमर अहित ला करही, ओला झट झटका देबो।
 
हमर पास नइ बुद्धि के कमती,
 
हमर पास नइ बुद्धि के कमती,

14:14, 9 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

अपढ़ रहव झन खुद पढ़ लो अउ, लइका लोग ल पढ़ावव।
ज्ञानी गुनवंता खुद होके,
पर ला घलक पढ़हावव रे।

बिना पढ़े मनखे के कीमत, कभू होन नइ पावे गा।
अज्ञानी मूरख लेड़गा ला, एको झन नइ भावे गा
अपने होके अपन हाथ मं
भावी ला झन बारो रे।
ज्ञानी गुनवंता खुद होके,
पर ला घलक पढ़हावव रे।

खेत खार रुपिया पइसा हा, कभुच खतम हो जाथे गा।
पर विद्या रहिथे आखिर तक, एहा कभू नि जावै गा।
अज्ञानता के ठुड़गा रुख मं
शिछा के जल डारो रे।
ज्ञानी गुनवंता खुद होके,
पर ला घलक पढ़हावव रे।

अगर नउकरी नइ पाये त, कुछू बात नइये ओमा।
पर के दरवाजा देखे बर, नइ पढ़ पाये कोनो गा।
शिक्षित बन के अपन नाम ला
दुनियां म बगराओ रे।
ज्ञानी गुनवंता खुद होके,
पर ला घलक पढ़हावव रे।

अपढ़ रेहेन त हमर देस ला, परदेसी मन लूटे हे।
ए भुइंया के इज्‍जत अउ धन, हमरे जानत झींके हे।
गल्‍ती होगे तेला मितवा,
आगू झन दोहराओ रे।
ज्ञानी गुनवंता खुद होके,
पर ला घलक पढ़हावव रे।

पढ़े लिखे म देस विश्‍व मं, का होथे ते जान लेबो।
जेहा हमर अहित ला करही, ओला झट झटका देबो।
हमर पास नइ बुद्धि के कमती,
आओ जल्‍दी आओ रे।
ज्ञानी गुनवंता खुद होके,
पर ला घलक पढ़हावव रे।