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|रचनाकार=रंजीत वर्मा
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<poem>
एक ऐसे समय में
मैंने तुम्हारा साथ दिया
जब समय
मेरा साथ नहीं दे रहा था
वे हो सकते हैं
उत्तेजक और अमीर
भटक कर दिखाएं वे
एक पूरा दिन भी
एक ऐसे समय में
जब प्रेम करना
जब तुम्हे खुद अपना दिल
संभालना मुश्किल हो रहा था
तुम्हारे सांवले रंग में
गहराती शाम का झुटपुटा होता था हमेशा
मैं एक पेड़ की तरह होता था जहां
अंधेरे में खोता हुआ
एक ऐसे समय में
ज्ब आगे बढ़ने के करतब
भटककर दिखाएं वे मेरी तरह
एक पूरा दिन भी।
</poem>