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"हृदय वेदना / श्वेता राय" के अवतरणों में अंतर

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मैं दीये की वो बाती हूँ जिसको जल के है बुझ जाना।
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प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है
  
किरण डूबती जब सँझा को
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गगन आसरा दे ना पाये
तब जगती मेरी तरुणाई
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सागर में भी वो न समाये
खुद हो जाती छिन्न भिन्न मैं
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हाय पीर बिछडन की अब बन नीर नयन से बहती है
करता जब अँधियार लड़ाई
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प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है
शर्वरी के गहरे साये में तय है एकाकी जल जाना
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मैं दीये की वो बाती हूँ जिसको जल के है बुझ जाना
+
  
रातों को तो फ़ैल चाँदनी
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हो गया सूना जीवन मेरा
है बस प्रीत का राग सुनाती
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सपनो का अब रहा न डेरा
देहरी और सूने आँगन में
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जाते तेरे पग की ध्वनि अब बन लय धड़कन बजती है
मैं ही आस का दीप जलाती
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प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है
ऊषा की किरणों संग जिसको पलभर में है मिट जाना
+
मैं दीये की वो बाती हूँ जिसको जल के है बुझ जाना
+
  
आस यही विश्वास यही कि
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सुन के विरही मन की पुकारें
व्यर्थ नही मेरा जीवन
+
दर्द की राहें बाँह पसारे
तिल तिल खुद को जला जला कर
+
काली नीरव तम भरी रजनी अब बन नागिन डसती है
किया अमर अपना यौवन
+
प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है...
मेरे प्राण निराश न हो तुम, तमिस्रा से है बैर पुराना
+
मैं दीये की वो बाती हूँ जिसको जल के है बुझ जाना
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11:13, 2 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है

गगन आसरा दे ना पाये
सागर में भी वो न समाये
हाय पीर बिछडन की अब बन नीर नयन से बहती है
प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है

हो गया सूना जीवन मेरा
सपनो का अब रहा न डेरा
जाते तेरे पग की ध्वनि अब बन लय धड़कन बजती है
प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है

सुन के विरही मन की पुकारें
दर्द की राहें बाँह पसारे
काली नीरव तम भरी रजनी अब बन नागिन डसती है
प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है...