भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हमारा प्यारा हिन्दुस्तान / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 +
{{KKAnthologyDeshBkthi}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
जिसको लिए गोद में सागर,
 
जिसको लिए गोद में सागर,
हिम-किरीट शोभित है सर पर ।
+
हिम-किरीट शोभित है सर पर।
 
जहाँ आत्म-चिन्तन था घर-घर,
 
जहाँ आत्म-चिन्तन था घर-घर,
पूरब-पश्चिम दक्षिण-उत्तर ।।
+
पूरब-पश्चिम दक्षिण-उत्तर॥
                     जहाँ से फैली ज्योति महान ।
+
                     जहाँ से फैली ज्योति महान।
                     हमारा प्यारा हिन्दुस्तान ।।
+
                     हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥
 
जिसके गौरव-गान पुराने,
 
जिसके गौरव-गान पुराने,
जिसके वेद-पुरान पुराने ।
+
जिसके वेद-पुरान पुराने।
 
सुभट वीर-बलवान पुराने,
 
सुभट वीर-बलवान पुराने,
भीम और हनुमान पुराने ।।
+
भीम और हनुमान पुराने॥
                     जानता जिनको एक जहान ।
+
                     जानता जिनको एक जहान।
                     हमारा प्यारा हिन्दुस्तान ।।
+
                     हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥
 
जिसमें लगा है धर्म का मेला,
 
जिसमें लगा है धर्म का मेला,
ज्ञात बुद्ध जो रहा अकेला ।
+
ज्ञात बुद्ध जो रहा अकेला।
 
खेल अलौकिक एक सा खेला,
 
खेल अलौकिक एक सा खेला,
सारा विश्व हो गया चेला ।।
+
सारा विश्व हो गया चेला॥
                     मिला गुरु गौरव सम्मान ।
+
                     मिला गुरु गौरव सम्मान।
                     हमारा प्यारा हिन्दुस्तान ।।
+
                     हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥
 
गर्वित है वह बलिदानों पर,
 
गर्वित है वह बलिदानों पर,
खेलेगा अपने प्रानों पर ।
+
खेलेगा अपने प्रानों पर।
 
हिन्दी तेगे है सानों पर,
 
हिन्दी तेगे है सानों पर,
हाथ धरेगा अरि कानों पर ।।
+
हाथ धरेगा अरि कानों पर॥
                     देखकर बाँके वीर जवान ।
+
                     देखकर बाँके वीर जवान।
                     हमारा प्यारा हिन्दुस्तान ।।
+
                     हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥
 
</poem>
 
</poem>

16:57, 4 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

जिसको लिए गोद में सागर,
हिम-किरीट शोभित है सर पर।
जहाँ आत्म-चिन्तन था घर-घर,
पूरब-पश्चिम दक्षिण-उत्तर॥
                    जहाँ से फैली ज्योति महान।
                    हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥
जिसके गौरव-गान पुराने,
जिसके वेद-पुरान पुराने।
सुभट वीर-बलवान पुराने,
भीम और हनुमान पुराने॥
                    जानता जिनको एक जहान।
                    हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥
जिसमें लगा है धर्म का मेला,
ज्ञात बुद्ध जो रहा अकेला।
खेल अलौकिक एक सा खेला,
सारा विश्व हो गया चेला॥
                    मिला गुरु गौरव सम्मान।
                    हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥
गर्वित है वह बलिदानों पर,
खेलेगा अपने प्रानों पर।
हिन्दी तेगे है सानों पर,
हाथ धरेगा अरि कानों पर॥
                    देखकर बाँके वीर जवान।
                    हमारा प्यारा हिन्दुस्तान॥