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"चेतना / मैथिलीशरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर
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− | अरे भारत! उठ, आँखें | + | अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥ |
बहुत हुआ अब क्या होना है, | बहुत हुआ अब क्या होना है, | ||
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तेरी मिट्टी में सोना है, | तेरी मिट्टी में सोना है, | ||
तू अपने को तोल। | तू अपने को तोल। | ||
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दिखला कर भी अपनी माया, | दिखला कर भी अपनी माया, | ||
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देकर वही भाव मन भाया, | देकर वही भाव मन भाया, | ||
जीवन की जय बोल। | जीवन की जय बोल। | ||
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तेरी ऐसी वसुन्धरा है- | तेरी ऐसी वसुन्धरा है- | ||
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अब भी भावुक भाव भरा है, | अब भी भावुक भाव भरा है, | ||
उठे कर्म-कल्लोल। | उठे कर्म-कल्लोल। | ||
− | अरे भारत! उठ, आँखें | + | अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥ |
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17:35, 4 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
अरे भारत! उठ, आँखें खोल,
उड़कर यंत्रों से, खगोल में घूम रहा भूगोल!
अवसर तेरे लिए खड़ा है,
फिर भी तू चुपचाप पड़ा है।
तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है,
पल पल है अनमोल।
अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥
बहुत हुआ अब क्या होना है,
रहा सहा भी क्या खोना है?
तेरी मिट्टी में सोना है,
तू अपने को तोल।
अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥
दिखला कर भी अपनी माया,
अब तक जो न जगत ने पाया;
देकर वही भाव मन भाया,
जीवन की जय बोल।
अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥
तेरी ऐसी वसुन्धरा है-
जिस पर स्वयं स्वर्ग उतरा है।
अब भी भावुक भाव भरा है,
उठे कर्म-कल्लोल।
अरे भारत! उठ, आँखें खोल॥