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"प्रिज्म् / मनप्रसाद सुब्बा" के अवतरणों में अंतर
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14:40, 16 मार्च 2017 के समय का अवतरण
म प्रकाशको एक झीनो रश्मी
तिम्रो आँखाको प्रिज्ममा छरिएर
आफ्ना रङ्गहरू हेर्छु
अनि आफैलाई चिन्ने गर्छु
आफैलाई चिन्नु जस्तो मुश्किल कुरो
अरू के नै पो छ र !
आफूलाई आफैले आविष्कार गरेपछि
आफू मात्र देखिन्छ सबैतिर