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"निराला है हिन्दोस्ताँ / माधवी चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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एक अपनी जमीं, एक ही आसमाँ
 
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है हिमालय जहाँ विंध्य की श्रंखला
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गंगा-यमुना से शोभित है जिसका गला  
 
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जिसकी माटी को कहते हैं हम अपनी माँ  
 
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22:31, 2 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

जग में सबसे निराला है हिन्दोस्ताँ
एक अपनी जमीं, एक ही आसमाँ

है हिमालय जहाँ विंध्य की श्रृंखला
गंगा-यमुना से शोभित है जिसका गला
जिसकी माटी को कहते हैं हम अपनी माँ
जग में सबसे निराला है हिन्दोस्ताँ

छः ऋतु जिसके यौवन का श्रृंगार है
जिसके दामन में सबके लिए प्यार है
जो विविध फूल-कलियों का है बागवाँ
जग में सबसे निराला है हिन्दोस्ताँ

ज्ञान इंसानियत का जगत को दिया
जो भी आया शरण, उसको अपना लिया
हिंदी-मुस्लिम-ईसाई हैं भाई जहाँ
जग में सबसे निराला है हिन्दोस्ताँ