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एक कविता उदासी की / कुमार सौरभ
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15:22, 13 अप्रैल 2017
सपने भी तब आते हैं
जब तकिये के नीचे नगद हो !
( प्रकाशित- वागर्थ: नवम्बर 2007)
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Kumar saurabh
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