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मेरे मन की वंशी पर, अंगुलियाँ मत फेरो / कृष्ण मुरारी पहारिया
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13:49, 15 अप्रैल 2017
मुझे बाहुओं के रसमय वृत्तों से मत घेरो
कहीं सृजन को राहु न लग जाए
11.11.1962
</poem>
अनिल जनविजय
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