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"वह चिड़िया जो / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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रस उँडेल कर गा लेती है | रस उँडेल कर गा लेती है | ||
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नीले पंखों वाली मैं हूँ | नीले पंखों वाली मैं हूँ | ||
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चोंच मार कर | चोंच मार कर | ||
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जल का मोती ले जाती है | जल का मोती ले जाती है | ||
− | वह छोटी गरबीली | + | वह छोटी गरबीली चिड़िया |
नीले पंखों वाली मैं हूँ | नीले पंखों वाली मैं हूँ | ||
मुझे नदी से बहुत प्यार है। | मुझे नदी से बहुत प्यार है। |
09:24, 31 मई 2008 का अवतरण
वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
वह चिड़िया जो-
कंठ खोल कर
बूढ़े वन-बाबा के खातिर
रस उँडेल कर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।
वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्यार है।