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|रचनाकार=मोमिन
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[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
रोया करेंगे आप भी पहरों मेरी इसी तरह,अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह.
ना ताब हिज्र में है ना आराम वसल में,मर चुक कहीं कि तू ग़मे-हिज़्राँ<ref>विरह के दु:ख</ref> से छूट जायेकम्बखत दिल को चैन नही है किसी कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह.
गर चुप रहें तो गम-ऐ-हिज्राँ से छूट जाएँना ताब<ref>संतुष्टि</ref> हिज्र<ref>विरह</ref> में है ना आराम<ref>वस्ल</ref> वस्ल में,कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी कमबख़्त दिल को चैन नही है किसी तरह.
ना जाए वां वाँ<ref>वहाँ</ref> बने है ना बिन जाए चैन है,क्या कीजिये कीजिए हमें तो है मुश्किल सभी तरह.
लगती है गालियाँ भी तेरी मुझे तेरे मुँह से क्या भली,कुर्बान क़ुर्बान तेरे, फिर मुझे कह ले इसी तरह.
पामाल<ref>तबाह</ref> हम न होते फ़क़त जौरे-चर्ख़<ref>भाग्य के अत्याचार</ref> सेआयी हमारी जान पे आफ़त कई तरह आता नहीं है वो तो किसी ढब से दाव में बनती नहीं है मिलने की उस के कोई तरह  तश्बीह किस से दूँ कि तरहदार की मेरे सब से निराली वज़्अ है सब से नई तरह  माशूक़ और भी हैं बता दे जहान में करता है कौन ज़ुल्म किसी पर तेरी तरह हूँ जां बला बुतांजाँ-बलब<ref>मृत्यु के पास </ref> बुताने-ए-सितमगर <ref> हृदयहीन प्रेमिकाओं</ref> के हाथ से,क्या सब जहाँ में जीते हैं "मोमिन" इसी तरह...</poem>{{KKMeaning}}