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अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह
मर चुक कहें कहीं कि तू ग़मे-हिज़्राँ <ref>विरह के दु:ख</ref> से छूट जायेकहते तो हैं भले की वह लेकिन बुरी तरह ना ताब हिज्र में है ना आराम वस्ल में,कम्बख़्त दिल को चैन नही है किसी तरह गर चुप रहें तो गम-ऐ-हिज्राँ से छूट जाएँ,
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह
ना ताब<ref>संतुष्टि</ref> हिज्र<ref>विरह</ref> में है ना आराम<ref>वस्ल</ref> वस्ल में,कमबख़्त दिल को चैन नही है किसी तरह ना जाए वां वाँ<ref>वहाँ</ref> बने है ना बिन जाए चैन है,
क्या कीजिए हमें तो है मुश्किल सभी तरह
लगती है गालियाँ भी तेरी मुझे तेरे मुँह से क्या भली,कुर्बान क़ुर्बान तेरे, फिर मुझे कह ले इसी तरह
पामाल <ref>तबाह</ref> हम न होते फ़क़त जौरे-चर्ख़ <ref>भाग्य के अत्याचार</ref> से
आयी हमारी जान पे आफ़त कई तरह
हूँ जां-बलब बुताने-ए-सितमगर के हाथ आता नहीं है वो तो किसी ढब से,क्या सब जहाँ दाव में जीते हैं "मोमिन" इसी बनती नहीं है मिलने की उस के कोई तरह
'''शब्दार्थ:तश्बीह किस से दूँ कि तरहदार की मेरे पामाल: तबाह, जौरे-चर्ख़: आसमाँ का सब से निराली वज़्अ है सब से नई तरह  माशूक़ और भी हैं बता दे जहान में करता है कौन ज़ुल्म, किसी पर तेरी तरह हूँ जाँ-बलब: <ref>मृत्यु के पास, </ref> बुताने-ए-सितमगर: <ref> हृदयहीन प्रेमिकाएँप्रेमिकाओं</ref> के हाथ से,क्या सब जहाँ में जीते हैं "मोमिन" इसी तरह
</poem>
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