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"एक मुट्ठी धान में / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर

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ये रोज कोई पूछता है मेरे कान में
 
ये रोज कोई पूछता है मेरे कान में
हिंदोस्ताँ कहाँ है अब हिंदोस्तान में ।
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हिंदोस्ताँ कहाँ है अब हिंदोस्तान में।
  
 
इन बादलों की आँख में पानी नहीं रहा
 
इन बादलों की आँख में पानी नहीं रहा
तन बेचती है भूख एक मुट्ठी धान में ।
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तन बेचती है भूख एक मुट्ठी धान में।
  
 
तस्वीर के लिये भी कोई रूप चाहिये
 
तस्वीर के लिये भी कोई रूप चाहिये
ये आईना अभिशाप है सूने मकान में ।
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ये आईना अभिशाप है सूने मकान में।
  
 
जनतंत्र में जोंकों की कोई आस्था नहीं  
 
जनतंत्र में जोंकों की कोई आस्था नहीं  
क्या फ़ायदा संशोधनों से संविधान में ।
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क्या फ़ायदा संशोधनों से संविधान में।
  
 
मानो न मानो तुम ’उदय’ लक्षण सुबह के हैं  
 
मानो न मानो तुम ’उदय’ लक्षण सुबह के हैं  
चमकीला तारा कोई नहीं आसमान में ।
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चमकीला तारा कोई नहीं आसमान में।
 
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15:49, 24 मई 2017 के समय का अवतरण

ये रोज कोई पूछता है मेरे कान में
हिंदोस्ताँ कहाँ है अब हिंदोस्तान में।

इन बादलों की आँख में पानी नहीं रहा
तन बेचती है भूख एक मुट्ठी धान में।

तस्वीर के लिये भी कोई रूप चाहिये
ये आईना अभिशाप है सूने मकान में।

जनतंत्र में जोंकों की कोई आस्था नहीं
क्या फ़ायदा संशोधनों से संविधान में।

मानो न मानो तुम ’उदय’ लक्षण सुबह के हैं
चमकीला तारा कोई नहीं आसमान में।