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"सुभकामना / जनकराज पारीक" के अवतरणों में अंतर

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म्हारी सुभकामनावां स्वीकार करो
 
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कै अभाव अर अकाळ सूं ग्रस्त ई मुलक में
 
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आप भूख संू नीं
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आप भूख सूं नीं
 
बदहजमी सूं मरो।
 
बदहजमी सूं मरो।
 
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19:50, 6 जून 2017 का अवतरण

थारी कलम री मार
भोत गै'री है यार
म्हांनै अंदर तांई आहत करगी,
सत्ता रो अस्तुति गीत पढ्यो,
आतमा
इकतारै रै तार तरियां सिहरगी,

चार पेट अर चौंसठ दांत
थारी छात तळै पळै
आ तो म्हैं जाणै हो
पण पीढ़िया री जीभ माथै
जिंदा रैवण रा चाह रो बौपार करौला-
म्हारो मन नीं मानै हो।

समै री सकल नै
आपरो चै'रो सूपं'र
थे आ कांई अणहुणीं करग्या
कै लोकलाज नै सरमां मारता
सरकारी अखबार रै
सिरफ अेक सफे में मरग्या।
आखी जूण
आपरी नस नाड़ियां रो
रगत बाळणियां-म्हारा घणमोला मींत।
म्हारी सुभकामनावां स्वीकार करो
कै अभाव अर अकाळ सूं ग्रस्त ई मुलक में
आप भूख सूं नीं
बदहजमी सूं मरो।