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}}
{{KKCatGhazal}}<poem>आदतन तुम ने कर दिये वादे <br>
आदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी राहों में हर बार रुक कर <br>
हम ने अपना ही इन्तज़ार किया
अब ना माँगेंगे जिन्दगी या रब <br>
ये गुनाह हम ने एक बार किया
</poem>
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