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बै तो है छत्तरधारी / मंगत बादल
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<poem>
म्हां नै ई सेधै है आँधी गरमी सरदी पाळो?
अब तक
समझîा
समझिया
कोनी,
नित रा करै वायदा तोड़ै ।
म्हे तो आँख मीचली,पण बै,
Lalit Kumar
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