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फुलै त टिप्छ नि मान्छे
काडाँ कस्ले टिप्छ र
खुसी त लिन्छ नि मान्छे
ढुख काहाँ साट्छ र।
हुदा खादा पो आफ्नो मान्छे
नभए सबै पराई
मित्र पनि सत्रु बन्छ मान्छे
बाचे रोई कराई।
कुरा काटी हाँस्छ नाँच्छ मान्छे
हिजो जिउ२ गर्ने
मौका परे मार्छ मान्छेले मान्छे
भरोसा कस्को गर्ने।