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"सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर

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सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
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सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
  
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो <br>
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इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो  
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बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो
  
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किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
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तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
  
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यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो  
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मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
  
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यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें
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इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
  
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं <br>
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हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो  
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हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो
  
 
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कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा  
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता <br>
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मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
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कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा <br>
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ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
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13:09, 13 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो

यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश
हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो

कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो