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मै आता रहूँगा तुम्हारे लिए / चन्द्रकान्त देवताले
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12:53, 15 अगस्त 2017
तुम्हें मैंने बैजनी कमल कहकर पुकारा
और अब भी अकेलेपन की पहाड़ से उतरकर
मै
मैं
आऊँगा हमारी परछाइयों के ख़ुशबूदार
गाते हुए दरख़्त के पास
मै
मैं
आता रहूँगा उजली रातों में
चन्द्रमा को गिटार-सा बजाऊँगा
तुम्हारे लिए
</poem>
Sharda suman
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