|रचनाकार=अर्चना कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=पत्थरों के देश में देवता नहीं होते / अर्चना कुमारी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>कभी हल नहीं होते
कुछ प्रश्न
चुप्पियाँ मातम मनाती हैं
लय-भंग मानस की विछिन्नता
संत्रास की आपदा से स्तब्ध
अवसन्न,तिर्यक श्वाँसें
ऊर्ध्वगामी गति के तल में
बचाए रखती हैं जिजीविषा