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यात्रा / सुरेश चंद्रा
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08:03, 20 अक्टूबर 2017
भूल संभव है
भटकाव भी
अनगिनत सरायों
मे
में
ठहराव भी
विदा से जन्मती,
नयी यात्राओं के लिये
!!
.
</poem>
Anupama Pathak
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