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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=जिगर मुरादाबादी]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:जिगर मुरादाबादी]]{{KKCatGhazal}}[[Category:गज़ल]]<poem>
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*इक लफ़्ज़े-मोहब्बत<ref>प्रेम के शब्द का</ref> का अदना<ref>तुच्छ</ref> ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
इक लफ़्ज़े-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है ये किसका तसव्वुर<brref>कल्पना</ref> है ये किसका फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना जो अश्क है आँखों में तस्बीह<brref>माला<br/ref>का दाना है
ये किस का तसव्वुर है ये किस हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है <br>जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है <br><br>
हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़सना वो और वफ़ा-दुश्मन मानेंगे न माना है <br>रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना सब दिल की शरारत है आँखों का बहाना है <br><br>
वो और वफ़ा-दुश्मन मानेंगे न माना क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है <br>सब दिल की शरारत है आँखों का बहाना है हम ख़ाक-नशीनों<brref>मिट्टी या धरती पर रहने वाले<br/ref>की ठोकर में ज़माना है
क्या वो हुस्न ने समझा है क्या -ओ-जमाल उनका ये इश्क़ ने जाना है <br>हम ख़ाक-नशीनों ओ-शबाब अपना जीने की ठोकर में तमन्ना है मरने का ज़माना है <br><br>
या वो हुस्न-ओ-जमाल उन का ये इश्क़-ओ-शबाब अपना<br> थे ख़फ़ा हमसे या हम थे ख़फ़ा उनसे जीने की तमन्ना है मरना का कल उनका ज़माना था आज अपना ज़माना है <br><br>
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम थे ख़फ़ा उन से अश्कों के तबस्सुम<brref>कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है मुस्कुराहट<br/ref>में आहों के तरन्नुम<brref>गेयता</ref> मेंमासूम मोहब्बत का मासूम फ़साना है
अश्कों के तबस्सुम आँखों में आहों के तरन्नुम में <br>नमी-सी है चुप-चुप-से वो बैठे हैं मासूम मोहब्बत का मासूम नाज़ुक-सी निगाहों में नाज़ुक-सा फ़साना है <br><br>
आँखों में नमी सी है चुपऐ इश्क़े-चुप से वो बैठे हैं जुनूँ-पेशा<brref>उन्मादी प्रेम</ref> हाँ इश्क़े-जुनूँ-पेशा नज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है आज एक सितमगर<brref>अत्याचारी<br/ref>को हँस-हँस के रुलाना है
है ये इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा <br>नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे आज एक सितमगर को हँस हँस आग का दरिया है और डूब के रुलाना जाना है <br><br>
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना आँसू तो समझ लीजे <br>बहुत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन एक आग का दरिया बिँध जाये सो मोती है और डूब के जाना रह जाये सो दाना है <br><br>
आँसू तो बहोत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन <br/poem>बिंध जाये सो मोती है रह जाये सो दाना है <br><br>{{KKMeaning}}
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