Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
ज़ेह्नो-दिल से शख़्स जो बेदार हैदरहक़ीक़त वो ही खुदमुख्तार खुदमुख़्तार है
आँख मूँदी गये तुम वो सामनेबीच अपने कब कोई दीवार है
रूप-रंग उसका, महक उसकी अदा
उसकी यादों से सजा गुलज़ार दिल की दुनिया इनसे ही सरशार है
दर्द, ग़म, अरमां, खुशी, मस्ती भराज़ीस्त में कुछ कर गुज़रने के लिएदिल हमारा दिल नहीं बाज़ार आश्नाई खुद से भी दरकार है
ज़ीस्त में कुछ कर गुज़रने के लिएआशनाई खुद दर्द, ग़म, हसरत, मसर्रत से भी दरकार भरादिल हमारा दिल नहीं बाज़ार है
दर्द की शिद्दत के बढ़ने से पर लगाये तो कोई लादवा लाइलाज आज़ार है
जिसने भी 'दरवेश' हिम्मत हार दी
ज़िन्दगी उसके लिए दुश्वार है
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,531
edits