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अग्निपथ / हरिवंश राय बच्चन

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वृक्ष हों भले खड़े,
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।