भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तेरी गली की तरफ़ / नक़्श लायलपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ)
(इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ)
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
 
* [[नींद के आगोश में खो जाइए / नक़्श लायलपुरी]]
 
* [[नींद के आगोश में खो जाइए / नक़्श लायलपुरी]]
 
* [[मेरा माज़ी फिर कुरेदा आप ने / नक़्श लायलपुरी]]
 
* [[मेरा माज़ी फिर कुरेदा आप ने / नक़्श लायलपुरी]]
* [[दिल तो क्या रूहे-कब्ज़ को भी गर्मा गई / नक़्श लायलपुरी]]
+
* [[दिल तो क्या रूहे-फ़र्ज़ को भी शर्मा गई / नक़्श लायलपुरी]]
 
* [[लोग मुझे पागल कहते हैं गलियों में बाज़ारों में / नक़्श लायलपुरी]]
 
* [[लोग मुझे पागल कहते हैं गलियों में बाज़ारों में / नक़्श लायलपुरी]]
 +
* [[एक हंगामा सा बपा देखा / नक़्श लायलपुरी]]

20:21, 20 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

तेरी गली की तरफ़
General Book.png
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार नक़्श लायलपुरी
प्रकाशक
वर्ष 2015
भाषा उर्दू व हिन्दी
विषय नज़्में
विधा ग़ज़लें
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ