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"एक-एक दाना उजाला / प्रज्ञा रावत" के अवतरणों में अंतर

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सूरज उगा
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जब से चिड़िया रह गई है
डूबा
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एकदम अकेली
दिन चढ़ा
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उड़ती ही रहती है
उतरा
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नीले आकाश में
बचपन आया जवानी गई
+
कभी बादलों में
घर की बड़ी लड़की ने
+
तो कभी
सूरज उगने से पहले
+
कड़कती बिजली से बचती
घर का रेशा-रेशा चमकाया
+
तेज़ मूसलाधार बारिश में
कोना-कोना महकाया
+
भीगती
 +
फिर भी मुस्तैद
 +
पँख नहीं रुकते उसके
  
ठण्ड में तपिश पैदा की
+
जाने कौन-कौन सी दिशा से  
गर्मी में घनेरी छाया
+
इकट्ठा करती रहती है
शाम ढलने से पहले घर को
+
एक-एक दाना
फिर से सजाया-जगाया
+
उजाला, ख़ुशबू, चमक
  
घर को अनिष्ट से बचाने के लिए
+
वो वर्ड्सवर्थ की स्काइलार्क है
जाने क्या-क्या जतन किए
+
जिसकी आँखों में बसा है
और ख़ुद
+
उसका घोंसला
हर बार डूब गई
+
हर बार डालते हुए दाना
डूबते सूरज के साथ
+
चोंच से
 
+
अपने बच्चों को सुरक्षित देख
उगते और डूबते सूरज की
+
चैन की साँस भरती है
लालिमा को  
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चिड़िया बहुत डरती है
एक बार देखने की लालसा में
+
बहेलियों से, आँधी से।
हर बार डूबी है  
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घर की बड़ी लड़की।
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22:01, 27 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

जब से चिड़िया रह गई है
एकदम अकेली
उड़ती ही रहती है
नीले आकाश में
कभी बादलों में
तो कभी
कड़कती बिजली से बचती
तेज़ मूसलाधार बारिश में
भीगती
फिर भी मुस्तैद
पँख नहीं रुकते उसके

जाने कौन-कौन सी दिशा से
इकट्ठा करती रहती है
एक-एक दाना
उजाला, ख़ुशबू, चमक

वो वर्ड्सवर्थ की स्काइलार्क है
जिसकी आँखों में बसा है
उसका घोंसला
हर बार डालते हुए दाना
चोंच से
अपने बच्चों को सुरक्षित देख
चैन की साँस भरती है
चिड़िया बहुत डरती है
बहेलियों से, आँधी से।