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16:17, 11 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
कार कार हइ पहाड़ की हइ बदरिया करिया ॥1॥
लहसे ललित रतनजोत
नयन सुखित मुदित होत
हाय छिनहि में भेल इलोत
तान के कार चदरिया ॥2॥
फट रे बादर हंट पहाड़
जोति! जोति! मुंह उघार
फिर जगत में दे पसार
अप्पन सुखद इंजोरिया ॥3॥