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11:22, 11 अप्रैल 2018
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तन ई लहलह दुपहरिया में भी पड़ निदाघ के बहा पसीना हम तो धरती पाला।जोत रहल हे खेत किसनमा पी गरमी के तर कइली।हाला॥बालू सड़ल झरल फटल विवाई हे मोती जिनगी गोड़ा में सुख पइली॥टघरल खूब पसीना।हरियर हरियर खेतन फिर भी जोत रहल मस्ती में अरमान हमर हरियायल।तान कठिन ऊ सीना॥कँटवन तातल ताबा सन धरती पर पड़ल गोड़ में भी फूल उगल हे मनमा हे हरसायल॥फोड़ा।ले मस्ती हम घूम ऊपर से सूरज बेरहमी लगा रहल ही सुत्थर आरीकर-आरी।कोड़ा॥एसों उगल रहल धन धरती विहँसल खेत कियारी॥हीरा मोती बैला ओकर बनलइ आज सहारा।दूर-दूर तक धनहर खेती में फइलल हरियाली।झूम रहल अब हर किसान हे देख धान गोर बदनमा झामर भेलइ चढ़ल तपन के बाली॥पारा॥चूग रहल पंछी हे दाना रमरतिया ओकर मौगी ले अइलइ साथ कलेवा।छाँह तले बइठल ऊ खा के हरियर बाना।कहलक पयलूँ मेवा॥चहक-चहक खेतन में उड़ अस्सी चास करे खातिर जे कठिन उठौलक बीड़ा।ओकर तनमा के गुन गुन गावे गाना।नैं झाँके ताके कहियो पीड़ा॥उजड़ल मड़ई भी मुसकायल सजलइ घर बढ़ल चढ़ल चल धर सिरौर के बाना।कह बैला के हाँके।उगल फसल धइले लगना हाथ अरौआ ले सिरौर के देख न कोई देतइ हमरा ताना॥झाँके॥मुसकइलइ घरवा काट केतारी के कोठी घर अँगना पाँहड़ा गुल्ला के कोना।हिगरावे।हरवाही रोपे डोभे माटी भर के फल मिल गेलइ भरलइ घर में सोनो॥पानी खूब पटावे॥थिरक रहल चेहरा करमठ जे धरती पर उनका बन सँउसे सरग बसावे॥फोड़ परत माटी के सुत्थर लाली।जब्बड़ खन जे इहाँ इनारा।तितली बन ओही पावे जीवन में भी सरस सलिल के कुरच धारा॥पुजा रहल हे घर-घर ओही ई जग में घरवाली॥जेकर चढ़ल जुआनी।मर के भी जे मरे न कहिया रख ले सब के पानी॥जे सरबस के दान करे ऊ कहलावे दानी।मान रखे जे सबके बढ़ के कहलावे सनमानी॥
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