Changes

|रचनाकार=साहिर लुधियानवी
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा मिल कर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनत वालों मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम क़दम बढ़ायासागर ने रस्‍ता रस्ता छोड़ा, परबत पर्वत ने सीस शीश झुकायाफ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहेंहम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें , चट्टानों में राहें, साथी हाथ बढ़ाना।बढ़ाना
मेहनत अपने अपनी लेख की रेखा, मेहनत से क्‍या क्या डरनाकल गैरों ग़ैरों की खातिर ख़ातिर की, आज अब अपनी खातिर ख़ातिर करनाअपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एकअपनी मंज़िल सच की मंज़िल, अपना रास्‍ता रस्ता नेक,साथी हाथ बढ़ाना।बढ़ाना
एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरियाएक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाता है सेहराएक से एक मिले तो राई, बन सकती सकता है परबतपर्वत एक से एक मिले तो इंसां, इन्सान बस में कर ले किस्‍मतक़िस्मत, साथी हाथ बढ़ाना माटी से हम लाल निकालें मोती लाएँ जल से जो कुछ इस दुनिया में बना है, बना हमारे बल से कब तक मेहनत के पैरों में ये दौलत की ज़ंजीरें हाथ बढ़ाकर छीन लो अपने सपनों की तस्वीरें, साथी हाथ बढ़ाना।बढ़ाना
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits