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+ | पट्टी टट्टी ओट नैन कै चोट चलाईला हो॥ | ||
+ | कम्पा दाम लगाईला, चटपट खिड़पाईला॥ | ||
+ | यार प्रेमघन! यही तार में सगतौं धाईला हो॥3॥ | ||
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+ | बहरी ओर जाय बूटी कै रगड़ा रोज लगाईला॥ | ||
+ | बूटी छान, असनान, ध्यान कै, पान चबाईला। | ||
+ | डण्ड पेल चेलन के कुस्ती खूब लड़ाईला हो॥ | ||
+ | बैरिन सारन देखतहीं घुइरी, गुराईला। | ||
+ | त्यूरी बदलत भर मैं लै हरबा सटि जाईला हो॥ | ||
+ | कैसौ अफलातून होय नहिं तनिक डेराईला। | ||
+ | गरू प्रेमघन! यारन के संग लहर उड़ाईला हो॥14॥ | ||
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09:55, 21 मई 2018 के समय का अवतरण
॥बनारसी लय॥
तोहसे यार मिलै के खातिर सौ-सौ तार लगाईला॥
गंगा रोज नहाईला, मन्दिर में जाईला।
कथा पुरान सुनीला, माला बैठि हिलाईला हो॥
नेम धरम औ तीरथ बरत करत थकि जाईला।
पूजा कै-कै देवतन से कर जोरि मनाईला हो॥
महजिद में जाईला, ठाढ़ होय चिल्लाईला।
गिरजाघर घुसिकै लीला लखि-लखि बिलखाईला हो॥
नई समाजन की बक-बक सुनि सुनि घबराईला।
पिया प्रेमघन मन तजि तोहके कतहुँ न पाईला हो॥12॥
॥दूसरी॥
हम तो खोजि-खोजि चौकाली चिड़िया रोज फँसाईला।
जहाँ देखि आई, मुनि पाई, बसि डटि जाईला हो॥
चोखा चारा चाह, जतन कै जाल बिछाईला।
पट्टी टट्टी ओट नैन कै चोट चलाईला हो॥
कम्पा दाम लगाईला, चटपट खिड़पाईला॥
यार प्रेमघन! यही तार में सगतौं धाईला हो॥3॥
॥तीसरी॥
बहरी ओर जाय बूटी कै रगड़ा रोज लगाईला॥
बूटी छान, असनान, ध्यान कै, पान चबाईला।
डण्ड पेल चेलन के कुस्ती खूब लड़ाईला हो॥
बैरिन सारन देखतहीं घुइरी, गुराईला।
त्यूरी बदलत भर मैं लै हरबा सटि जाईला हो॥
कैसौ अफलातून होय नहिं तनिक डेराईला।
गरू प्रेमघन! यारन के संग लहर उड़ाईला हो॥14॥