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हाथों पर है भाग्य विधाता लिख जाता | हाथों पर है भाग्य विधाता लिख जाता | ||
वही मिलेगा जो भी कर्म करो कर से।। | वही मिलेगा जो भी कर्म करो कर से।। | ||
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निवारो निवारो सकल कामना को | निवारो निवारो सकल कामना को | ||
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किसी को न अब वैर की राह भाये | किसी को न अब वैर की राह भाये | ||
मिटा दो मिटा दो विषम भावना को।। | मिटा दो मिटा दो विषम भावना को।। | ||
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जहाँ पर हो अँधेरा रौशनी उपहार कर देना | जहाँ पर हो अँधेरा रौशनी उपहार कर देना | ||
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मिटाना है अगर तो तुम दिलों के द्वेष को मारो | मिटाना है अगर तो तुम दिलों के द्वेष को मारो | ||
अगर तुम से बने तो शत्रुता संहार कर देना।। | अगर तुम से बने तो शत्रुता संहार कर देना।। | ||
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मुहब्बत है अजब जज़्बा गजब इस की कहानी है | मुहब्बत है अजब जज़्बा गजब इस की कहानी है | ||
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है इक एहसास जाने कब किसी के दिल मे पैदा हो | है इक एहसास जाने कब किसी के दिल मे पैदा हो | ||
कहीं पर्वत की ऊँचाई कहीं दरिया का पानी है।। | कहीं पर्वत की ऊँचाई कहीं दरिया का पानी है।। | ||
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झलक एक मीरा ने पायी उस की सपने में | झलक एक मीरा ने पायी उस की सपने में |
11:08, 15 जून 2018 के समय का अवतरण
शाश्वत है सम्बन्ध आत्म का ईश्वर से
पा जाता देवत्व तभी मानव नर से।
हाथों पर है भाग्य विधाता लिख जाता
वही मिलेगा जो भी कर्म करो कर से।।
निवारो निवारो सकल कामना को
बसी जो हृदय में विकल वासना को।
किसी को न अब वैर की राह भाये
मिटा दो मिटा दो विषम भावना को।।
जहाँ पर हो अँधेरा रौशनी उपहार कर देना
भटकती मौत हो तो जिंदगी त्यौहार कर देना।
मिटाना है अगर तो तुम दिलों के द्वेष को मारो
अगर तुम से बने तो शत्रुता संहार कर देना।।
मुहब्बत है अजब जज़्बा गजब इस की कहानी है
कहीं रसखान है पागल कहीं मीरा दिवानी है।
है इक एहसास जाने कब किसी के दिल मे पैदा हो
कहीं पर्वत की ऊँचाई कहीं दरिया का पानी है।।
झलक एक मीरा ने पायी उस की सपने में
हुई बावरी उसी दिवस से रही न अपने में।
दिवस रैन उस की ही मूरत आंखों में बसती
मगन हो गया मन मीरा का हरि को जपने में।।