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बरस बीतेपता अब है चला-जीना कठिनजीवन पथ परकाँटे ही काँटेलगता यही अब-मृत्यु सरल जीवन पथरीलाबड़ा हठीलापल-पल घुटनापीना गरललिये सातों जो फेरेबने संत्रासकरकते दिल मेंनिशि-वासरबन बाँस की फाँस।मन के धागेबँधे जिसके साथबिना फेरे केबस वही समायामन-प्राण मेंहर ले गई तापसभी सन्तापउसकी ही छुवन खिला मन आँगन।
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