भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दिलावर 'फ़िगार'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
* [[न मिरा मकाँ ही बदल गया न तिरा पता कोई और है / दिलावर 'फ़िगार']] | * [[न मिरा मकाँ ही बदल गया न तिरा पता कोई और है / दिलावर 'फ़िगार']] | ||
* [[मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो / दिलावर 'फ़िगार']] | * [[मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो / दिलावर 'फ़िगार']] | ||
+ | * [[जदा-ए-फ़न में बड़े सख़्त मुक़ाम आते हैं / दिलावर 'फ़िगार']] | ||
+ | * [[जजा जानेमन तिरी ज़ात से ममा मुझको ही पपा प्यार है / दिलावर 'फ़िगार']] |
13:46, 23 जून 2018 का अवतरण
दिलावर 'फ़िगार'
जन्म | 08 जुलाई 1928 |
---|---|
निधन | 25 जनवरी 1998 |
जन्म स्थान | बदायूं, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
दिलावर 'फ़िगार' / परिचय |
- अदब को जिंस-ए-बाज़ारी न करना / दिलावर 'फ़िगार'
- अजब अख़बार लिक्खा जा रहा है / दिलावर 'फ़िगार'
- हुस्न पर ऐतबार हद कर दी / दिलावर 'फ़िगार'
- कल चौदहवीं की रात थी आबाद था कमरा तेरा / दिलावर 'फ़िगार'
- शाएर से शेर सुनिए तो मिस्रा उठाइए / दिलावर 'फ़िगार'
- शादी में ख़त में जो ख़ला याद आ गया / दिलावर 'फ़िगार'
- शोर से बच्चों के घबराते हैं घर पर और हम / दिलावर 'फ़िगार'
- उट्ठी नहीं है शहर से रस्म-ए-वफा अभी / दिलावर 'फ़िगार'
- वो शख़्स कभी जिस ने मेरा घर नहीं देखा / दिलावर 'फ़िगार'
- या रब मेरे नसीब में अक्ल-ए-हलाल हो / दिलावर 'फ़िगार'
- ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए / दिलावर 'फ़िगार'
- ज़लील हो के तो जन्नत से मैं नहीं आया / दिलावर 'फ़िगार'
- अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त / दिलावर 'फ़िगार'
- जादा-ए-फ़न में बड़े सख़्त मक़ाम आते हैं / दिलावर 'फ़िगार'
- सियाह ज़ुल्फ़ को जो बन-सँवर के देखते हैं / दिलावर 'फ़िगार'
- न मिरा मकाँ ही बदल गया न तिरा पता कोई और है / दिलावर 'फ़िगार'
- मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो / दिलावर 'फ़िगार'
- जदा-ए-फ़न में बड़े सख़्त मुक़ाम आते हैं / दिलावर 'फ़िगार'
- जजा जानेमन तिरी ज़ात से ममा मुझको ही पपा प्यार है / दिलावर 'फ़िगार'